इस किताब को लिखने की वजह अक्सर हमारे मुस्लिम नौजवान और गैर-मुस्लिम दोस्त ये शिकायत करते थे कि वो क़ुरआन का तर्जुमा (अनुवाद) पढ़ते तो हैं मगर बात पूरे तौर पर समझ में नहीं आती। हमने इसकी वजह जानने की कोशिश की तो पता चलाः
1. ज़्यादातर लोगों का ध्यान इस बात की तरफ नहीं होता कि क़ुरआन 23 साल के लम्बे अर्स में थोड़ा-थोड़ा करके अलग-अलग मौकों पर नाजिल हुआ (उतरा)। फिर बाद में उसे एक जगह जमा करके किताबी शक्ल दी गई। इस वजह से मौजूदा कुरआन में मौज़ूआत (विशय), मुतकल्लिम (वाथक) और मुखातब (संबोधित व्यक्ति) सब बहुत तेजी से बदलते हैं।
2. बहुत से लोग ये नहीं जानते कि मौजूदा क़ुरआन में कहीं-कहीं आयतों की तरतीब (वाक्यों का क्रम) उस तरतीब (क्रम) से अलग है जिसमें वो हज़रत मुहम्मद (स) पर उतरी थीं। अलबत्ता ये तब्दीली हज़रत मुहम्मद (स) के हुक्म से की गई थी।
3. कहीं-कहीं पर कुरआन के जुमले (वाक्य) कुछ लम्बे हैं जिसकी वजह से नए पड़ने वाले को बात समझने में मुश्किल होती है।
4. इस सबके आलावा हर ज़बान (भाशा) में किसी बात को कहने का अपना एक ढंग होता है। इसलिये कमी-कभी सिर्प लफ़ज़ी तर्जुमा (शाब्दिक अनुवाद) लोगों की समझ में नहीं आता।
इन ही कठिनाइयों को सामने रखकर हमने ये किताब तैयार की है। इसकी मदद से आप जान सकते हैं कि मोटे तौर पर क़ुरान किन चीजों के बारे में बात करता है। इसमें कहीं पूरी आयत (पंक्ति) कहीं उसके सिर्फ एक टुकड़े का तर्जुमा (अनुवाद) पेश किया है। और जहाँ खुद तर्जुमा मुश्किल था वही भावार्थ को अपने अल्फाज़ (शब्दों) में बयान किया है। आप इस किताब के ज़रिये बहुत कम वक्त में पूरे क़ुरआन पर नज़र डाल सकते हैं। इसे आप अपने दोस्तों को तोहफे में दे सकते हैं या फिर ईसाले सवाब के लिये बांट सकते हैं या फिर मस्जिद में रख सकते हैं ताकि क़ुरआन ख्वानी के वक्त सिर्फ हिन्दी जानने वाले लोग भी इसे पढ़कर सवाब हासिल कर सकें।
क़ुरआन का समझना हुआ आसान | Quran Ka Samajhna Hua Asaan
₹300.00
क़ुरआन की चुनिंदा आयतों का तर्जुमा, मफहूम और पैग़ाम (अनुवाद, भावार्थ और संदेश)
Language: Hindi
Author: Imamia Youth Organization
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Weight | 700 g |
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