हिन्दी के इस दौर में शिद्दत से इस बात की ज़रूरत महसूस की जा रही थी कि जवान तबके़ के लिए जो उर्दू से ज्यादा हिन्दी ज़बान से आशना हैं किताब “शहीदे इन्सानियत” हिन्दी ज़बान में शाया की जाए ताकि हिन्दी रस्मुल ख़त पढ़ने वाले हज़रात भी सरकारे सैय्यदुल उलमा आयतुल्लाहिल उजमा मौलाना अली नकी नक़वी की इस शाहकार और अजीमुश्शान किताब से फायदा उठा सकें जो सीरते इमामे हुसैन और वाक़-ए-करबला पर मबनी अपनी नौइयत की मुनफ़रिद और बे मसाल किताब है। याद रहे कि इसके पहले 1984 ई0 में यादगारे हुसैनी के जे़रे एहतेमाम ये किताब अग्रेज़ी ज़बान में भी शाया हो चुकी है। जिसका तरजमा जनाब सै0 अली अख्तर साहब मरहूम ने फ़रमाया था। इसके अलावा लन्दन से भी शहीदे इन्सानियत का अग्रेज़ी तरजमा शाया हो चुका है। चुंकि सरकारे सैय्यदुल उलमा की आलेमाना गुफ़तगु हिन्दीदाँ हज़रात को समझने में दुशवारी न हो लेहाज़ा मुशकिल अलफ़ाज़ के नेमुलबदल आसान अलफ़ाज़ भी रखे गये हैं और जनाब की असल तहरीर से कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है जो उन्होंने अवाम के लिए तरतीब दी है। हिन्दी ज़बान में तरजमा करने में जनाब मौलाना असीफ़ जायसी
और जनाब तज़हीब नगरौरी ने हकीर का मुकम्मल साथ दिया जो शुक्रिये के मुस्तहक हैं।
अपनी कोताह इल्मी का एतेराफ़ करते हुए नेमुलबदल अलफ़ाज़ में जो कमी रह गई हो उसके लिए तमाम कारईन से मुआज़ेरत ख्वाह हूँ।
शहीदे इन्सानियत | Shaheed E Insaniyat
₹299.00
Language: Hindi
Author: Allamah Sayyid Ali Naqi Naqvi (Naqqan) (Naqqan)
Page Count: 584
Translator/Compiler: Feroz Alam Rizvi
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Weight | 669 g |
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Dimensions | 210 × 152 × 43 mm |
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