अल्लाह ही लायके हम्द ए खास है जिसने मौजूदात आलमीन की हर शय को बनाया कि जैसा बनाने का हक था और दरुद ओ सलाम है उन नफूसे कुदसिया पर जिन को उसने मखलूकात की हिदायत के लिए अपने नुमाइन्दे मुकर्रर फरमाए !
अफसोस है कि जमाने ने उनके अकवाले हिकमत पर गौर करना गैर मुनासिब समझा और बे राह भटकता रहा यही वजह है कि दुनिया को आज भी इमामत ए किबरिया की हकीकी अज़मत का अन्दाज़ा न हो सका ! इस रिसाले में जहां नाचीज़ ने कई अइज्जा व अहबाब के इस्तफ़सार को कि मैने अपना आबाई मज़हब अहले सुन्नत वल जमाअत क्यों तर्क किया ?और मजहबे इमामिया किन खुसूसियात की बिना पर कबूल किया ? का जवाब लिखने की कोशिश की है।
मै शिया क्यों हुआ? | Mai Shia Kyu Hua?
₹25.00
Language: Hindi
Author: Abdul Kareem Mushtaq
Page Count: 62
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Weight | 44 g |
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Dimensions | 176 × 118 × 5 mm |
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